अस्सलामु अलैकुम आज के इस लेख Roze ki Fazilat में हम आप को रोज़े के बारे में और रोज़े की फ़ज़ीलत के बारे में बताने वाले है।
जैसे हमारे दिमाग में बहुत सारे प्रश्न आते हैं की रोज़ा क्या है। उसकी फ़ज़ीलत, रोज़ेदार और उसकी फ़ज़ीलत तो सारे प्रश्न का उत्तर आप को इस लेख में मिलजाए गा तो आप रोज़े की फ़ज़ीलत लेख को पूरा ज़रूर पढ़े।
रोज़े (Roza) का मतलब क्या है
रोज़े का मतलब है रुकना
इस्लाम के अनुसार रोज़े का मतलब है सुबह सादिक़ से लैकर सूरज के डूबने तक कुछ खाना, पीना नहीं और अपनी धर्म पत्नी से संबंध से भी रुकना।
इस्लाम के पांच अर्कानो में से एक अरकान है रोज़ा है।
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Roze ki Fazilat in Hadees | रोज़े की फ़ज़ीलत
1. रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, अल्लाह तआला फ़रमाता है रोज़ा मेरे लिए है और में ही उसका बदला दूंगा। (बुखारी शरीफ़ 1904)
2. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसने रमज़ान के रोज़े ईमान के साथ और सवाब की नियत से रखे उसके पिछले पाप माफ़ करदिए जाते है। (बुखारी 1901)
3. अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद हे, रोज़ा गुनाहों की एक शील्ड है। (बुखारी 1904)
4. नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया किसी में निकाह करने की शक्ति न होतो उसे रोज़े रखने चाहिए क्यूंकि रोज़ा उसकी शहवत को समाप्त कर देता है। (बुखारी 1905)
Roze ki Fazilat की वजा
- रोज़े में मनुष्य को ज़्यादा धैर्य रखना पड़ता है।
- रोज़े में रियाकारी का चांस कम होता हे दूसरी इबादत के मुक़ाबले।
- भूक प्यास सब बरदाश करना पड़ता है।
- इसको बंदा अल्लाह के लिए रखता है और इसे कोई बंदा नहीं देख सकता जबकि दूसरी इबादत और कार्य बंदा जब करता है तो लोग उसे देखते है।
- अगर बंदा चाहे तो चुपके से जो चाहे खा, पी सकता।
- अल्लाह के डर से बंदा रोज़े में नहीं खाता पीता।
रोज़ेदार की मुंह की गंध
रोज़ेदार की मुंह की गंध अल्लाह तआला के क़रीब मुश्क की खुशबू से भी ज़्यादा अच्छी है। (बुखारी शरीफ़ 1904)
रोज़ेदार सवाब प्राप्त करके खुश होगा।
और जब वो अपने रब से मिलैगा तो, अपने रोज़े का सवाब प्राप्त करके खूश होगा। (बुखारी 1904)
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Rozedar Ki Fazilat | रोजेदार की फजीलत
रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया, जन्नत के आठ दरवाज़े हैं उनमें एक दरवाज़े का नाम रय्यान है जिस से सिर्फ़ रोज़ेदार ही जन्नत में दाखिल होंगे (बुखारी 3257)
अगर कोई इंसान चाहता हे की वो भी रय्यान दरवाज़े से जन्नत में जाए तो उसे चाहिए की वो फ़र्ज़ रोज़ों के साथ नफ़्ली रोज़ों की भी पाबंदी करें। ताकी हमें भी ये अवसर मिल सकें।
रोज़ा मुसलमानों पर फ़र्ज़ है क़ुरआन में
ए ईमान वालों तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए है जैसा के तुम से पहले लोगों पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए थे ताकी तुम मुत्तक़ी बन जाओ। (सूरह बक़रह 183)
रमजान के खास कार्य
- रोज़ा रखना
- धैर्य करना
- रमज़ान मिलने पर अल्लाह का शुक्र अदा करना
- अल्लाह से अच्छे कामों की तौफ़ीक़ मांगना
- नैक अमल करना
- अमल की क़बूलियत की दुआ मांगना
- सहरी करना
- इफ़तार करना
- नमाज़ पढ़ना
- क़ुरआन शरीफ़ पढ़ना
- दुआ मांगना
- गुनाहों से तौबा करना
- तरावीह पढ़ना
- सदक़ा, खैरात करना
- एतेकाफ़ में बेठना
- शबे क़द्र की रातों में इबादत करना
- अच्छे कार्य करना
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Conclusion: आज के लेख में हमने आप को Roze ki Fazilat in Hindi में बताई है और हमने जाना रोज़े की फ़ज़ीलत हादीस की रोशनी में। आशा हे की आप को रोज़े की फ़ज़ीलत के संबंधित मालूमात अच्छी लगी होगी। और आप अब रोज़ों को पाबंदी से रखोंगे। यही हमारा मक़सद है।